यहां विकास भवन परिसर में लावारिस खड़े खस्ताहाल टैक्सी वाहन में आग लगने से इसके भीतर सो रही एक बालिका की मौत हो गई। मंगलवार देर रात हुए इस हादसे के दौरान मृत बालिका का छोटा भाई और तीन अन्य बच्चे भी साथ थे। समय रहते वाहन से बाहर निकलने की वजह से इनकी जान बच गई।
विकास भवन परिसर में जिला कोषागार के मुख्य द्वार के सामने वर्षों से खड़े एक खस्ताहाल टैक्सी वाहन में मंगलवार देर रात करीब 11 बजे आग लग गई। कड़ाके की ठंड के चलते इस दौरान लोगों के घरों में दुबके होने से किसी को भी तत्काल घटना का पता नहीं चल पाया। इस बीच शोरशराबा होने पर लोग एकत्र हुए और उन्होंने तत्काल पुलिस और फायर सर्विस को इसकी सूचना दी।
सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे दमकल वाहन ने आग पर काबू पाया। मौके पर मौजूद बच्चे ने गाड़ी के भीतर अपनी 13 वर्षीय बहन के होने की जानकारी दी। दमकल कर्मियों ने वाहन की पिछली सीट के नीचे बालिका का बुरी तरह जला हुआ शव बरामद किया।
विकास भवन परिसर में जिला कोषागार के मुख्य द्वार के सामने वर्षों से खड़े एक खस्ताहाल टैक्सी वाहन में मंगलवार देर रात करीब 11 बजे आग लग गई। कड़ाके की ठंड के चलते इस दौरान लोगों के घरों में दुबके होने से किसी को भी तत्काल घटना का पता नहीं चल पाया। इस बीच शोरशराबा होने पर लोग एकत्र हुए और उन्होंने तत्काल पुलिस और फायर सर्विस को इसकी सूचना दी।
सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे दमकल वाहन ने आग पर काबू पाया। मौके पर मौजूद बच्चे ने गाड़ी के भीतर अपनी 13 वर्षीय बहन के होने की जानकारी दी। दमकल कर्मियों ने वाहन की पिछली सीट के नीचे बालिका का बुरी तरह जला हुआ शव बरामद किया।
ठंड लगने पर उन्होंने वाहन के भीतर ही आग जलाई
पुलिस उपाधीक्षक कमल सिंह पंवार ने बताया कि नेपाली मूल के मजदूरों के ये बच्चे पहले भी कई बार घर से भाग चुके हैं। बीते दो दिनों से भी यह बच्चे घर में बिना किसी को बताए इधर-उधर घूम रहे थे।
अग्निकांड में बालिका का शव बरामद होने और मौके पर उसका छोटा भाई मौजूद होने पर पुलिस ने तत्काल बाल कल्याण समिति एवं चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचित कर उन्हें बुलाया और उनकी तहरीर के आधार पर अज्ञात के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कर पड़ताल शुरू की। बाल कल्याण समिति की पूछताछ में मृत बालिका के भाई और तीन अन्य बच्चों ने बताया कि वे रात को इस वाहन के भीतर सो रहे थे।
ठंड लगने पर उन्होंने वाहन के भीतर ही आग जलाई जो भड़क कर फैल गई। चारों बच्चे तो कूद कर किसी तरह वाहन से बाहर निकलने में कामयाब हो गए, लेकिन पीछे का दरवाजा जंक लगने से जाम होने और आग से डर लगने के कारण बालिका बाहर नहीं निकल पाई और वाहन के भीतर ही जलने से उसकी मौत हो गई। इस आधार पर लापरवाही से मौत होने की धारा में मुकदमा दर्ज कर इन बच्चों को विधिक किशोर न्यायिक बोर्ड के समक्ष पेश किया जा रहा है।
अग्निकांड में बालिका का शव बरामद होने और मौके पर उसका छोटा भाई मौजूद होने पर पुलिस ने तत्काल बाल कल्याण समिति एवं चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचित कर उन्हें बुलाया और उनकी तहरीर के आधार पर अज्ञात के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कर पड़ताल शुरू की। बाल कल्याण समिति की पूछताछ में मृत बालिका के भाई और तीन अन्य बच्चों ने बताया कि वे रात को इस वाहन के भीतर सो रहे थे।
ठंड लगने पर उन्होंने वाहन के भीतर ही आग जलाई जो भड़क कर फैल गई। चारों बच्चे तो कूद कर किसी तरह वाहन से बाहर निकलने में कामयाब हो गए, लेकिन पीछे का दरवाजा जंक लगने से जाम होने और आग से डर लगने के कारण बालिका बाहर नहीं निकल पाई और वाहन के भीतर ही जलने से उसकी मौत हो गई। इस आधार पर लापरवाही से मौत होने की धारा में मुकदमा दर्ज कर इन बच्चों को विधिक किशोर न्यायिक बोर्ड के समक्ष पेश किया जा रहा है।
वाहन में बालिका की मौत से उठे कई सवाल
विकास भवन परिसर में लावारिस खड़े वाहन के भीतर मंगलवार देर रात बालिका की जलकर हुई मौत ने सरकारी तंत्र की व्यवस्थाओं और समाज की सजगता एवं संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भले ही पुलिस ने इसे लापरवाही से हुआ एक हादसा बताकर मामले का निस्तारण कर दिया है, लेकिन हादसे के कारण और हालात को लेकर कई सवालों का किसी के पास ठोस जवाब नहीं है।
कड़ाके की ठंड में पांच नाबालिग बच्चे देर रात लावारिस हालत में अपनी परिजनों से दूर भटक रहे थे, लेकिन किसी ने उनकी ओर ध्यान क्यों नहीं दिया? पुलिस के अधिकारी और बाल कल्याण समिति एवं चाइल्ड हेल्प लाइन के प्रतिनिधियों का कहना है कि यह बच्चे पूर्व में भी कई बार अपने घर से भाग चुके हैं और उन्हें पकड़कर परिजनों के सुपुर्द किया गया, तो फिर इस मामले में पूर्व में कोई ठोस कार्रवाई कर बच्चों का पुनर्वास क्यों नहीं किया गया?
कड़ाके की ठंड में पांच नाबालिग बच्चे देर रात लावारिस हालत में अपनी परिजनों से दूर भटक रहे थे, लेकिन किसी ने उनकी ओर ध्यान क्यों नहीं दिया? पुलिस के अधिकारी और बाल कल्याण समिति एवं चाइल्ड हेल्प लाइन के प्रतिनिधियों का कहना है कि यह बच्चे पूर्व में भी कई बार अपने घर से भाग चुके हैं और उन्हें पकड़कर परिजनों के सुपुर्द किया गया, तो फिर इस मामले में पूर्व में कोई ठोस कार्रवाई कर बच्चों का पुनर्वास क्यों नहीं किया गया?
बस्ती में रहने वालों ने इन बच्चों की सुध क्यों नहीं ली?
ठंड से बचने के लिए कहीं कोई आश्रय स्थल नहीं होने के कारण ही बच्चों ने लावारिस खड़े वाहन में शरण ली। इस दौरान आसपास की बस्ती में रहने वालों ने इन बच्चों की सुध क्यों नहीं ली? पुलिस या बाल कल्याण समिति को इसकी सूचना क्यों नहीं दी? वाहन में आग लगने पर झुलसते हुए बालिका ने चीत्कार किया होगा, तो आसपास मौजूद लोगों ने उसकी आवाज को अनसुना क्यों किया?
घटना स्थल से महज दस मीटर की दूरी पर जिला कोषागार में सुरक्षा कर्मी तैनात थे। समय रहते उन्हें इस घटना का पता क्यों नहीं चला? जिला कोषागार एवं विकास भवन परिसर वाले इस क्षेत्र में सुरक्षा एवं निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था क्यों नहीं है?
घटना स्थल से महज दस मीटर की दूरी पर जिला कोषागार में सुरक्षा कर्मी तैनात थे। समय रहते उन्हें इस घटना का पता क्यों नहीं चला? जिला कोषागार एवं विकास भवन परिसर वाले इस क्षेत्र में सुरक्षा एवं निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था क्यों नहीं है?